Question ans

सवाल :-बाबाजी राधा स्वामी जी,बाबाजी आपका बहुत बहुत सुकरिया आपने मुझे आप से बात करने का मोका दिया।बाबाजी मेरे परिवार मैं कोईभी सत्संगी नहीं है, मेरे पेरेंट्स मुझे सुरुसेही यहाँ आने से रोकते थे।पापा बहुत बोलते थे पर मैं फिर भी घर सेकालेज के एक घंटे पहलेचली जाती थी ताकि मैं सत्संग सुन सकू।पापा मम्मी को भी बहुत बोलते थे, घर मैंबहुत कलेश रहता था, घर मैं एक मंदिरभी था, दो बार पूजा होती थी, परमेरा प्यार आप से पता नहीं इतना केसेथा की और कुछ अच्छा नहीं लगता था।( वो लड़की बहुत रो रही थीऔर सारीसांगत भी रो रही थी ) फिर मैं हॉस्टलमैं पढ़ने चंडीगड़ चली गयी। यंहा मेरे हॉस्टलके साथ आपका सत्संग घर था। हर बार सत्संग सुनती थी, फिर एक रिश्ता आया,लड़का भी सत्संगी था, उसको नाम दान मिला हुआ था, मेरे पति ने मुझे बुत सपोर्ट किया. वो कहते थे, तुम सत्संग पर जाओ मैंकाम कर लूँगा।बाबाजी मैं इस सब को क्या समझू,मेरी किस्मत या फिर पिचले जनम के कियेगए करम ?

जवाब :-बेटा उस मालिक के घर देर हैं अंधेर नहीं। हमें उस मालिक पे यकीं रखना चाहिए।प्यार से सब कुछ हासिल हो जाता है।
सवाल :-बाबाजी जब कभी बाप अपने बच्चो सेमाफी मांगे, जबकि उनकी कोईगलती ही न हो तो उस बच्चेको क्या करना चाहिए ?
जवाब :-बेटा माफी मांगना कोई गलत बाततो नहीं, इस से कोईछोटा या बड़ा नहीं हो जाता। इस सेदिल से हुई गलती का एहसासकरवाया जाता।
लड़का :- बाबाजी फिर आप ने परसोसत्संग पर सारी सांगत सेमाफी क्यों मांगी थी, आपकी तो कोई गलती नहीं थी,
बाबाजी :- बेटा जिसकी हमन ेजिमेदारी ली हो अगर उसमे कोईकमी रह जायेतो माफी तो मँगनी ही पड़ती है।
सवाल :-बाबाजी जो आप प्रसाद देतेहो वो देना चाहिए या नहीं और इसका क्या मतलब है।
जवाब :-बेटा अगर आप कहते हो तो बंद कर देता हुँ,बेटा प्रसाद देने का मतलब कोई कारवाईपाना नहीं है। प्रसाद देने का का मतलब हैइस नाल आप नु मालिक दी यादआउदि रहनदी है। सानु उस मालिकदा प्यार आउंदा है।