Loot Sake toh Loot lo



लुट सके तो लुट ले , राम नाम की लुट 
पाछे फिर पछताओगे, प्राण जाही जब छुट ।।
यह दुनिया मोह का भण्डार है। जनम लेते ही हम तेरा मेरा करने लग जाते है। प्रेम में पड जाते है रिस्ते दारिया बना लेते है पर कबी सोचा है हम क्यों आये हाँ इस दुनिया में। शयद कोई नई सोचता। हम आये है भुगतान करने जो हम ने पिछले जन्मों में किया है उस का भुगतान करने। जो जैसे कर्म करता है उसे वासां ही जन्म मिलता है जो दान पुन करता है वो राजा बन के असो आराम की जिंदगी लेता है। बुरे काम करने वाला बिमारी को साथ लाता है दुनिया में रह कर हर चीज को तरसता है। पर हमें यह जन्म 84 लाख यूनि बिताने के बाद मिला है इसे ऎसे ही बर्बाद न करो उस मालिक के सिमरन में लगाओ। संतो दुआर राम नाम की लूट लगी है अगर लूटना है तो उसे लूट जो तेरे सारे कर्म खत्म कर सकता है।
गुरु का दिया सिमरन लुटेगा तो भवसागर तर जायेगा। अगर तुम इस जीव रूप को ऎसे ही निकल दिया तेरी मेरी करने में तो अतः सम्हये पछतावा ही हाथ लगेगा। जिन के लिए तू दिन रात भगता फिर रहा है वो कोई तेरे अत समहये साथ नई दे पायेगे। जो साथ वो होगा तेरे गुरु का साथ और तेरी मेहनत जो तू सिमरन में लगाये गा। इस जीवन का असली मूल मत भूल।
"आप सब को प्यार से राधा स्वामी जी मालिक मेहर करे "