एक दिन महिता जी ने गुरु जी (Shri Guru Nanak Dev Ji) को 20 रुपए देकर सच्चा सौदा करके लाने को कहा तथा भाई बाले को भी साथ भेज दिया| गुरु जी (Shri Guru Nanak Dev Ji) पिता जी को सति बचन कह कर 20 रूपए लेकर तथा भाई बाले को साथ लेकर सच्चे सौदे के लिए निकल पड़े| जाते -२ रास्ते में चुह्रड़काने गाँव में आप ने साधु मण्डली को देखा जो कि सारी ही भजन सिमरन में लगी हुई थी| तभी गुरु जी (Shri Guru Nanak Dev Ji) ने बाले को कहा कि हमें यहाँ खरा सौदा प्राप्त हुआ है, इसे छोड़ना नहीं चाहिए|
यह विचार करके गुरु जी ने चुहड़काने नगर में 20 रुपए कि रसद आटा, चावल, मिष्टान व घी आदि लेकर संत मण्डली के पास पहुँचे और उन्हें भेट कर दिया और सभी संतो को प्रणाम करते हुए भाई बाले के साथ खाली हाथ ही तलवंडी कि और मुड गए|
यह विचार करके गुरु जी ने चुहड़काने नगर में 20 रुपए कि रसद आटा, चावल, मिष्टान व घी आदि लेकर संत मण्डली के पास पहुँचे और उन्हें भेट कर दिया और सभी संतो को प्रणाम करते हुए भाई बाले के साथ खाली हाथ ही तलवंडी कि और मुड गए|