एक भिखारी

एक भिखारी भूख – प्यास से त्रस्त
होकर
आत्महत्या की योजना बना रहा था ,
तभी वहां से
एक नेत्रहीन महात्मा गुजरे
| भिखारी ने उन्हें अपने मन
की व्यथा सुनाई
और कहा , ” मैं अपनी गरीबी से तंग
आकर
आत्महत्या करना चाहता हूँ |”
उसकी बात सुन महात्मा हँसे और
बोले , “ठीक
है, आत्महत्या करो लेकिन पहले
अपनी एक आंख
मुझे दे दो | मैं तुम्हे एक हज़ार
अशरफिया दूंगा | ” भिखारी चोंका |
उसने कहा ,
“आप कैसी बात करते हैं | मैं आंख
कैसे दे
सकता हूँ |”
महात्मा बोले, “आंख न सही , एक हाथ
ही दे दो ,
मैं तुम्हे एक हज़ार
अशरफिया दूंगा | ”
भिखारी असमंजस में पड़ गया |
महात्मा मुस्कराते हुए बोले, संसार
में सबसे
बड़ा धन निरोगी काया है | तुम्हारे
हाथ-पाव ठीक
है, शारीर स्वस्थ है, तुमसे
बड़ा धनी और कौन हो सकता है |
तुमसे गरीब
तो में हूँ कि मेरी आँखें नहीं हैं
मगर में
तो कभी आत्महत्या के बारे में
नहीं सोचता | भिखारी ने उनसे
छमा मांगी और
संकल्प किया कि वह कोई काम करके
जीवन-
यापन करेगा |